Thursday 30 July 2015

कलाम साहब की आयुर्वेद-दृष्टि

जब थाली के खाने से अचानक नमक और चीनी गायब हो जाए, या जब भरे हुए मटके से पानी देखते देखते ही अचानक एक पल में भस्म हो जाए, तब समझ में नहीं आता है कि यह क्या था, क्यूँ हुआ, और अब आगे क्या होगा | डॉ. अब्दुल कलाम जी की अनपेक्षित मृत्यु तो ठीक वैसा ही है जैसे विश्व के हर प्राणी को प्रतिदिन रोशनी से प्रेरित करता सूरज  अचानक एक दिन डूब गया हो | कलाम साहब की मृत्यु केवल हमारे देश के लिए या विश्व की विज्ञान के लिए ही नुकसान नहीं है, हमारे आयुर्वेद नामक जग के लिए भी बहुत बड़ी नुकसान है | कलाम साहब के प्रशंसक यह अवश्य जानते होंगे कि वे आयुर्वेद के कितने बड़े प्रशंसक  थे | वे मानते थे कि रोगों को रोकने के लिए श्रेष्ठतम व हानिरहित पथ है आयुर्वेद | वे लोगों को यह लगातार कहते थे के हमारे पूर्वज स्वास्थ्य को पाने के लिए अथवा उसे बरकरार रखने के लिए जिस मार्ग को अपनाते थे, वही मार्ग आज भी हमें स्वास्थ्य तक पहुँचाएगा | उनका यह मानना था कि प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) की जहाँ एक ओर वृद्धि हो रही है, वहीँ दूसरी ओर रोगों और उनके द्वारा होनेवाले कठिनाइयों की भी लगातार वृद्धि हो रही है | विश्व में बढती जन-संख्या को ध्यान में रखते हुए उन्होंने कहा कि आधुनिक चिकित्सा (एलॉपथी) के द्वारा बढते रोगों का सामना करना असंभव  है | त्रिशूर (केरल) में आयुर्वेद संग्रहालय (म्यूजियम) के उद्घाटन के अवसर पर उन्होंने याद किया कि जब वे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defense Research and Development Organisation (DRDO)) के रक्षा मंत्री के सलाहकार थे, तब उन्होंने 'प्रोग्राम चरक'  नामक एक अनुसंधान एवं विकास (R&D) की आयोजना की  थी , जो सैनिकों के स्वास्थ्य के लिए जडी-बूटियों से सम्बंधित थी | ऐसे  ही जब "इंटरनेशनल आयुर्वेद फाउंडेशन" नामक एक गैर सरकारी संगठन (NGO) के "प्रफुल पटेल"  के साथ कलाम साहब ने आयुर्वेद के सिलसिले में चर्चा की, तब  उन्होंने आयुर्वेद के अनुसंधान एवं विकास के लिए एक विशेष संगठन की आयोजन में दिलचस्पी दिखाया था | कलाम साहब का कहना था कि भारत के दक्षिणी  और पूरबी  प्रदेशों  का प्रयोग औषधीय जडी-बूटियों की खेती के लिए किया जा सकता है | भारत के जैव विविधता का सही उपयोग करने से अंतर्राष्ट्रीय जडी-बूटी-बाज़ार में भारत के लिए एक दृढ़ स्थान की प्राप्ति हो सकती है | उन्होंने कहा कि जापान और चीन ने  अपने  पारंपरिक विषयों को जग-भर में प्रबल किया है | किन्तु इस प्रकार भारत की  पहचान अभी तक नहीं बनी  है |
आयुर्वेद को विश्व-भर में प्रसिद्ध करना और सभी को आयुर्वेद के लाभ दिलाना व आयुर्वेद के द्वारा सभी को उनके कष्टों से मुक्त कराना कलाम साहब का सपना रहा है | इस सपने को आगे बढ़ाकर उसको सफ़ल बनाना अब हमारे हाथों में है | उनके अनेक प्रेरणा दायक विचार जग भर के लोगों को जीवन के हर क्षेत्र में मार्ग दर्शाता रहेगा | उन्होंने भारत और विश्व को जो सपना दिखाया, और देखना सिखाया, उस सपने को हकीकत में बदलना अब हमारा कर्तव्य है | उनकी शान्ति की हम सब प्रार्थना करें |

वयम्

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